Read India Celebration
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ANNOUCEMENT
Monday, 24 March 2025
WELCOME BACK TO SCHOOL (SESSION 2025-26)
A NEW JOURNEY TO BE STARTED.
A NEW PROMISE TO BE FULFILLED.
A NEW PAGE TO BE WRITTEN......
WELCOME BACK TO SCHOOL (SESSION 2025-26)
Thursday, 28 November 2024
"Bal Vivah Mukt Bharat Campaign" on November 27
Union Minister Annapurna Devi launched the "Bal Vivah Mukt Bharat Campaign" on November 27 to end child marriages and help girls reach their full potential.
Communal Harmony Campaign 19th to 25th Nov
- The Communal Harmony Campaign is a week-long event that promotes communal harmony, national integration, and fraternity among people
- The campaign is observed annually from November 19–25, with a Flag Day on November 25. The National Foundation for Communal Harmony (NFCH), an autonomous organization under the Ministry of Home Affairs, requests the government to observe the campaign.
Sunday, 24 November 2024
Monday, 18 November 2024
जनजातीय गौरव दिवस: 15 नवंबर
1.यह दिन एक सम्मानित जनजातीय नेता और स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा की जयंती का प्रतीक है। भारत के प्रधानमंत्री ने बिरसा मुंडा के सम्मान में एक स्मारक सिक्का तथा डाक टिकट जारी किया, जो उनकी स्थायी विरासत को श्रद्धांजलि देता है।
2.पहली बार वर्ष 2021 में मनाया जाने वाला यह दिवस भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले आज़ादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को मान्यता देने के लिये स्थापित किया गया था।
3.संथाल, तमाड़, भील, खासी और मिज़ो सहित जनजातीय समुदायों ने बिरसा मुंडा के उलगुलान (क्रांति) जैसे अनेक उपनिवेश-विरोधी आंदोलनों का नेतृत्व किया, जिसमें उल्लेखनीय साहस और बलिदान का प्रदर्शन किया गया।
4.प्रारंभिक जीवन: बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर, 1875 को हुआ, वे छोटा नागपुर पठार की मुंडा जनजाति से संबंधित थे।बचपन में उन्होंने अपने माता-पिता के साथ गाँवों के बीच घूमते हुए आदिवासी समुदायों के समक्ष आने वाली चुनौतियों का प्रत्यक्ष अनुभव किया।
5.बिरसाइत संप्रदाय के संस्थापक: मुंडा ने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के तहत जनजातीय लोगों को धर्मांतरित करने के मिशनरी प्रयासों के बारे में संज्ञान लिया।
बिरसा मुंडा ने बिरसाइत संप्रदाय की स्थापना की, जिसका उद्देश्य आदिवासी पहचान को पुनर्जीवित करना तथा धर्मांतरण का विरोध करना था।
6.इन्होने मुंडा और उरांव समुदायों (झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और छत्तीसगढ़ राज्यों में रहने वाले जनजातीय समूह) को औपनिवेशिक और मिशनरी नियंत्रण के खिलाफ एकजुट किया।
जनजातीय लामबंदी में भूमिका: वर्ष 1886 से 1890 तक झारखंड के चाईबासा में वह सरदारों के आंदोलन से प्रभावित हुए।
7.वह ब्रिटिश विरोधी और मिशनरी विरोधी गतिविधियों में गहराई से शामिल हुए, जिससे आदिवासी अधिकारों के लिये लड़ने का उनका संकल्प मज़बूत हुआ।
इन्होने ब्रिटिशों को चुनौती देने के साथ जनजातीय भूमि तथा संस्कृति की रक्षा के लिये जनजातीय समुदायों को संगठित किया।
8.वर्ष 1899 में उन्होंने उलगुलान (महान कोलाहल) आंदोलन शुरू किया, जिसमें ब्रिटिश सत्ता का विरोध करने और "बिरसा राज" के रूप में ज्ञात एक स्वशासित आदिवासी राज्य की स्थापना को बढ़ावा देने के क्रम में गुरिल्ला युद्ध रणनीति को अपनाया गया था।
9.गिरफ्तारी और मृत्यु: वर्ष 1900 में ब्रिटिश पुलिस द्वारा जामकोपाई जंगल में उन्हें उनके गुरिल्ला समूह के साथ गिरफ्तार किया गया।9 जून 1900 को 25 वर्ष की अल्पायु में राँची जेल में रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई।
10.विरासत: उन्हें औपनिवेशिक सरकार पर जनजातीय भूमि अधिकारों की रक्षा हेतु कानून बनाने के लिये दबाव डालने के लिये जाना जाता है।जनजातीय अधिकारों और स्वतंत्रता आंदोलन में उनके योगदान को सम्मान देते हुए वर्ष 2000 में उनकी जयंती पर झारखंड राज्य की स्थापना की गई।
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